दूसरी शादी(Second marriage) में कुंडली मिलान का महत्व
पहले विवाह की असफलता या जीवनसाथी की मृत्यु के बाद दूसरी शादी का निर्णय भावनात्मक और सामाजिक चुनौतियों से भरा होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दूसरी शादी के लिए कुंडली मिलान न केवल वैवाहिक सुख को बढ़ाता है, बल्कि पहले विवाह से जुड़े कर्मिक दोषों को भी कम करता है। इस ब्लॉग में जानिए कैसे करें दूसरी शादी के लिए राशि मिलान और किन बातों का रखें विशेष ध्यान।
कुंडली मिलान में ध्यान देने योग्य प्रमुख बिंदु
- गुण मिलान (36 गुण):
- दूसरी शादी में भी 18+ गुण मिलना अनिवार्य है।
- विशेष फोकस: वर्ण (1 गुण), वश्य (2 गुण), तारा (3 गुण), और योनि (4 गुण)।
- नाड़ी दोष:
- पहले विवाह में नाड़ी दोष होने पर दूसरी शादी में इसे अवश्य चेक करें।
- समाधान: रुद्राभिषेक या गरीबों को तिल का दान।
- मंगल दोष (कुजा दोष):
- दोनों पार्टनर्स में मंगल दोष होने पर संघर्ष बढ़ता है।
- उपाय: मंगल ग्रह की शांति के लिए मंगलवार का व्रत या मूंगा रत्न धारण करें।
- शनि और राहु-केतु की स्थिति:
- शनि की साढ़ेसाती या राहु-केतु के प्रभाव में दूसरी शादी में देरी हो सकती है।
दूसरी शादी के लिए शुभ राशि संयोग
पुरुष राशि | महिला राशि | संयोग प्रभाव |
---|---|---|
मेष | धनु | जुनून और साहसिक जीवन |
वृषभ | मकर | स्थिरता और वित्तीय सुरक्षा |
मिथुन | कुंभ | बौद्धिक और सामाजिक सामंजस्य |
कर्क | मीन | भावनात्मक गहराई और आध्यात्मिकता |
पहली शादी से सीख और ज्योतिषीय सुझाव
- पूर्व जन्म के कर्म: पहले विवाह की असफलता को पितृ दोष या कालसर्प योग से जोड़कर देखें।
- ग्रह शांति: पहले जीवनसाथी की मृत्यु होने पर कराएँ नारायण नागबली या पिंड दान।
- मंगलिक दोष: अगर पहला पार्टनर मंगलिक था, तो दूसरी शादी में मंगल दोष चेक अवश्य करें।
दूसरी शादी के लिए विशेष ज्योतिषीय उपाय
- रत्न धारण:
- पुखराज: वैवाहिक सुख के लिए।
- मोती: भावनात्मक संतुलन के लिए।
- मंत्र जाप:
- ॐ नमः शिवाय (सभी दोषों के लिए)।
- ॐ शुं शुक्राय नमः (प्रेम और सामंजस्य के लिए)।
- दान: विवाह से पहले विधवा महिलाओं को साड़ी या अनाज दान करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. क्या दूसरी शादी में गुण मिलान कम हो सकते हैं?
नहीं, 18+ गुण अनिवार्य हैं, लेकिन नाड़ी दोष और मंगल दोष पर विशेष ध्यान दें।
Q2. विधुर/विधवा शादी में कुंडली मिलान अलग है?
जी हाँ, पितृ दोष और मृत्यु कारक ग्रहों (मंगल, शनि) की स्थिति जरूर चेक करें।
Q3. दूसरी शादी के लिए शुभ मुहूर्त कैसे चुनें?
शुक्ल पक्ष, गुरुवार या रविवार, और विवाह योग (स्वाति, अनुराधा नक्षत्र) चुनें।
निष्कर्ष: सही मार्गदर्शन है सफलता की कुंजी
दूसरी शादी के लिए कुंडली मिलान न केवल वैवाहिक जीवन को सुखी बनाता है, बल्कि पहले विवाह के कार्मिक प्रभावों से भी मुक्ति दिलाता है। एक अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेकर और ग्रहों को अनुकूल करके आप दूसरे प्यार की नई शुरुआत को सफल बना सकते हैं।
याद रखें: ज्योतिष सिर्फ मार्गदर्शन करता है, सफलता आपके विश्वास और प्रयासों पर निर्भर है!
जरूर देखें :- “नौकरी में प्रमोशन नहीं मिल रहा” या “शनि दोष शांति”
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