विवाह में देरीविवाह में देरी के ज्योतिषीय कारण और उपाय
भारतीय संस्कृति में विवाह को एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। लेकिन कई बार अच्छे रिश्ते और प्रयासों के बावजूद शादी में देरी होने लगती है, जिससे व्यक्ति और परिवार तनाव में आ जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह में देरी का कारण ग्रहों की अशुभ स्थिति, कुंडली में दोष या शनि, मंगल जैसे ग्रहों का प्रभाव हो सकता है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि विवाह में देरी के ज्योतिषीय कारण क्या हैं और इन्हें दूर करने के अचूक उपाय कौन-से हैं।
विवाह में देरी के प्रमुख ज्योतिषीय कारण
1. कुंडली में सप्तम भाव का कमजोर होना
ज्योतिष में सप्तम भाव (7th House) को विवाह, जीवनसाथी और साझेदारी का प्रतिनिधि माना जाता है। यदि कुंडली में सप्तम भाव पीड़ित है, शनि, राहु, या केतु जैसे पापी ग्रहों का प्रभाव है, या इस भाव का स्वामी कमजोर है, तो विवाह में बाधाएं आती हैं।
2. शनि (सैटर्न) का प्रभाव
शनि ग्रह को देरी और कठिनाइयों का कारक माना जाता है। यदि शनि सप्तम भाव में बैठा हो, सप्तमेश को पीड़ित कर रहा हो, या लग्न कुंडली में अशुभ स्थान पर हो, तो शादी में देरी हो सकती है। इसके अलावा, शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव भी रिश्तों में रुकावट लाता है।
3. मंगल दोष (मंगलिक दोष)
मंगल ग्रह का अशुभ स्थान पर होना या सप्तम भाव में मंगल की मौजूदगी मंगल दोष बनाती है। इस दोष के कारण विवाह टूटने का डर, देरी, या वैवाहिक जीवन में कलह की संभावना रहती है।
4. राहु-केतु की चाल
राहु और केतु छाया ग्रह हैं जो जीवन में अचानक उथल-पुथल लाते हैं। यदि ये ग्रह सप्तम भाव में हों या शुभ ग्रहों के साथ युति बना रहे हों, तो विवाह के मामले में भ्रम या अनिश्चितता पैदा होती है।
5. विवाह योग में कमी
कुंडली में विवाह योग बनने के लिए चंद्रमा, शुक्र और बृहस्पति का मजबूत होना जरूरी है। यदि इन ग्रहों की स्थिति कमजोर है या ये पीड़ित हैं, तो शुभ योग नहीं बन पाता।
6. दशा-अंतर्दशा का असर
व्यक्ति की कुंडली में चल रही ग्रह दशाएं भी विवाह की समयसीमा तय करती हैं। उदाहरण के लिए, शनि, राहु या सूर्य की दशा में विवाह में बाधाएं आ सकती हैं।
7. नवांश कुंडली में दोष
कई बार जन्म कुंडली तो ठीक होती है, लेकिन नवांश कुंडली (D9 चार्ट) में सप्तम भाव योग खराब होने से विवाह टलता रहता है।
विवाह में देरी दूर करने के ज्योतिषीय उपाय
1. मजबूत करें सप्तम भाव
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हर गुरुवार को पीले फूल और हल्दी से बृहस्पति की पूजा करें।
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पुखराज या पीला नीलम धारण करने से सप्तम भाव मजबूत होता है।
2. शनि के प्रभाव को कम करें
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शनिवार को काले तिल, सरसों का तेल और उड़द की दाल दान करें।
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नीलम रत्न धारण करने से पहले ज्योतिषी से सलाह लें।
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शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें।
3. मंगल दोष का निवारण
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मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर और लाल फूल चढ़ाएं।
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मूंगा रत्न (मूंगा) धारण करें या कुंभ विवाह करवाएं।
4. राहु-केतु की शांति
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शनिवार को नारियल या काले कपड़े का दान करें।
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राहु केतु मंत्र “ॐ रां राहवे नमः” और “ॐ कें केतवे नमः” का जाप करें।
5. विवाह योग बनाने के उपाय
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शुक्र को मजबूत करने के लिए शुक्रवार को सफेद फूल, चावल और मिठाई दान करें।
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हीरा या स्फटिक धारण करें।
6. विशेष पूजा और अनुष्ठान
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काल सर्प दोष शांति या नवग्रह शांति पूजा करवाएं।
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गायत्री मंत्र या सुंदरकांड पाठ का नियमित पाठ करें।
7. शुभ मुहूर्त का चयन
विवाह की तिथि तय करते समय लग्न, चंद्रमा और शुक्र की स्थिति का ध्यान रखें। पंचांग के अनुसार विवाह शुभ मुहूर्त 2024 के लिए ज्योतिषी से संपर्क करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. क्या मंगल दोष हमेशा विवाह में देरी का कारण होता है?
नहीं, यह कुंडली में मंगल की स्थिति पर निर्भर करता है। कई बार अन्य शुभ योग इस दोष के प्रभाव को कम कर देते हैं।
Q2. शादी की देरी के लिए कौन-सा रत्न सबसे प्रभावी है?
पुखराज, मूंगा और हीरा जैसे रत्न ग्रहों की शक्ति बढ़ाकर विवाह योग बनाने में मदद करते हैं।
Q3. उपाय करने के बाद कितने समय में असर दिखता है?
यह व्यक्ति की कुंडली और ग्रहों की चाल पर निर्भर करता है। आमतौर पर 40 दिन से 6 महीने में परिणाम मिलने लगते हैं।
निष्कर्ष
विवाह में देरी के ज्योतिषीय कारणों को समझकर और सही उपाय अपनाकर आप इस समस्या से निजात पा सकते हैं। धैर्य रखें, ग्रहों की शांति के लिए नियमित प्रयास करें, और किसी अनुभवी ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण जरूर करवाएं। याद रखें, ग्रहों की चाल बदलती है, और सही समय पर शुभ योग आपके लिए एक सुखद वैवाहिक जीवन लेकर आएगा।
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